Corona Virus
कोरोना की दवाई कब बनेगी ? विश्लेषण- Exam crack official
कोरोना वायरस की दवाई |
कोरोना केस के मामलों में भारत दुनियाभर में अब तीसरे पायदान पर हैं। अमेरिका और ब्राजील,भारत से आगे हैं। दुनिया को कोरोना वायरस से बचाने के लिए दवाई की बहुत अधिक जरूरत हैं। जितनी जल्दी दवाई बनेगी,उतने ज्यादा लोगो की जान बचा सकते हैं।
हाल ही में बाबा रामदेव,पतंजलि ने अपनी 'कोरोनिल दवा' लॉन्च की थी,जिसने 7 दिनों में 100% ठीक होने की दर का दावा किया था। इस दवा को लेकर काफ़ी विवाद हुआ, काफ़ी सवाल उठाए गए, बाद में इनके उपर FIR भी दर्ज करवाई गई।
इण्डियन काउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार 15 अगस्त तक भारत, दुनिया की पहली कोविड-19 की दवाई बना लेगा।
-दवाई काम कैसे करेगी?
दवा को आप माॅक एग्जाम(क्लास टेस्ट) की तरह समझ लीजिए। आप मुख्य परीक्षा देने से पहले कक्षा में टेस्ट देते हैं, ताकि आप मुख्य परीक्षा के लिए अच्छे से तैयार हो सको, तो दवा वहीं क्लास टेस्ट हैं।
जब आपके शरीर में कोई पैथोजन(वायरस, बैक्टीरिया,प्रोटोजोआ और अन्य सूक्ष्मजीव,जो आपको बीमार करते हैं) संक्रमण के लिए आक्रमण करते हैं,तो हमारा प्रतिरक्षा तंत्र(Immunity System) उस पर कार्रवाई करता है।
हमारे प्रतिरक्षा तंत्र के तीन मुख्य कार्य है-
(i) पैथोजन को ढूंढना
(ii) पैथोजन को शरीर से निकालना-
इस कार्य को सफेद रक्त कोशिकाएं(WBC) करती है,जो हमारे शरीर में सेना का कार्य करती है। ये पैथोजन के खिलाफ लङाई छेड़ देती है,ऐसा होने पर हमारे शरीर में लक्षण दिखाई देते हैं। यह लक्षण यह दिखाते है कि हमारा शरीर वायरस के खिलाफ लङ रहा है। तभी सफेद रक्त कोशिकाएं, एण्टी बाॅडीज पैदा करती है।
(iii) पुराने संक्रमण को याद रखना-
वायरस के अगले आक्रमण के लिए तैयार रहना ताकि अगली बार वायरस वापस संक्रमित न कर सकें।
दवाई,हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को एकदम माॅक एग्जाम की तरह तैयार करती है, ताकि अगर असल में वो वायरस आए तो हमारा प्रतिरक्षा तंत्र उससे लङने के लिए तैयार हो। प्रतिरक्षा तंत्र को पहले से याद है,कि किस प्रकार एण्टी बाॅडीज विकसित करनी और कम समय में हमारे शरीर से वायरस को निकाल सके।
Q. आखिर दवाई में ऐसा क्या होता है कि वो शरीर को पहले से तैयार कर सकें ?
-दवाई के अंदर अक्सर वो वायरस खुद मौजूद होता है, लेकिन अलग-अलग अवस्था (states) में मौजूद होता है
(i) कमजोर वायरस(Weak virus)
(ii) निष्क्रिय वायरस(Inactive virus)
(iii) टुकड़ों में बंटा हुआ वायरस(Sub unit virus)
इस प्रकार तीन अलग तरीकों से दवाई बनायी जा सकती है। हर दवाई के अपने-अपने फायदें और नुकसान है।
(i) कमजोर वायरस से निर्मित दवा(Live attanuated vaccine)- इस विधि में वायरस को कमजोर करके दवा में शामिल किया जाता है। चेचक(Small Pox), छोटी माता (Chicken Pox) के उपचार के लिए इसी तरह की दवा का उपयोग किया जाता है।
फायदें- यह काफी प्रभावी दवा होती है।
नुकसान- इस प्रकार की दवाई बनाने में काफी लंबा समय लगता है।
(ii) निष्क्रिय वायरस से निर्मित दवा(Inactivated Virus Vaccine)- इस प्रकार की दवाई में, वायरस को मारकर दवा में शामिल किया जाता है। संक्रामक जुकाम,रैबीज और पोलियो की दवाई इसी प्रकार बनायी जाती है।
फायदें- उपयोग के लिए काफी सुरक्षित होती है।
नुकसान- ये मजबूत प्रतिरक्षा प्रदान नहीं करती और कम समय के लिए होती है। इसलिए रोगी को बार-बार दवा देनी पङती है।
जैसे- पोलियो की दवा हर साल पिलायी जाती है।
(iii) वायरस के टुकड़े से बनी दवा(Sub unit vaccine)- इसमें वायरस के टुकड़ों से दवाई बनायी जाती है। इस प्रकार की दवा हेपेटाइटिस और एच.पी.वी.(HPV) में प्रयोग में ली जाती है।
दवा बनाने के ये तीन मुख्य तरीके हैं, इनके अलावा भी कुछ अन्य तरीके हैं।
दवाओं की मानव इतिहास में बात करें तो, विकसित देशों में शिशु मृत्यु दर 50% से कम होकर आज 1% से भी कम हो गई है।
Q. दवा बनने में कितना समय लग सकता है ?
-आमतौर पर किसी वायरस के खिलाफ दवा बनाने में 10 साल तक का समय लग सकता है, लेकिन कोरोना वायरस के मामले में, विशेषज्ञों के अनुसार कार्य की प्रगति को देखते हुए दवा एक से डेढ़ साल में बन सकती है।
आज तक इतिहास में सबसे तेज गति से बनाई गई दवा मम्पस की दवा (Mumps vaccine) है,जिसे बनाने में 4 साल लगे थे।
दूसरी तरफ एचआईवी(HIV) की दवा जो अभी तक नहीं बनी है। अनुमानों के अनुसार HIV की दवा 2030 तक बन सकती है, जिसे बनाने में 50 साल लगेंगे। दवाओं को बनाने में इतना लंबा समय भी लग सकता है।
दवा को बनाने के तीन मुख्य चरण होते हैं-
1.अनुसंधान चरण (Research Stage)- इस चरण में वैज्ञानिक, अनुसंधान से पता लगाते है कि,किन तरीकों से दवाई को बनाया जा सकता है, सामान्यतया इस प्रक्रिया में 2-4 साल लगते हैं। कोरोना वायरस के मामले में इस चरण को 6 महीने में पूरा करने का लक्ष्य है।
2. परीक्षण चरण(Testing stage)- इस चरण में पता लगाया जाता है कि बनाई गई दवा मरीज के लिए कितनी सुरक्षित और प्रभावी है।
(i) पूर्व लाक्षणिक प्रक्रिया(Pre clinical trial)- सबसे पहले दवा का जानवरों पर परीक्षण किया जाता है, इससे पता चलता है कि दवा कितनी सुरक्षित है। इस प्रक्रिया में 2 साल लगते है, जिसे घटाकर 6 महीने में पूरा किया जा सकता है।
(ii) इंसानों पर परीक्षण (Clinical trials)- इंसानों पर परीक्षण के लिए भी तीन चरण होते हैं
- गिने-चुने लोगों पर प्रयोग
- 100 से ज्यादा लोगों पर परीक्षण
- हजारों लोगों पर परीक्षण
इंसानों पर परीक्षण में कई साल लग सकते है ताकि पता चले की दवा लंबे समय तक कोई अन्य साइड इफेक्ट तो पैदा नहीं कर रहीं। इसलिए इसमें लंबे समय तक परीक्षण जरूरी है। आमतौर पर इसमें 5 साल लगते हैं, लेकिन इसे घटाकर 1.5 साल किया जा सकता है।
(iii) अनुमति(Approval)-सरकार से दवा के प्रयोग के लिए लाइसेंस लेना और अपने परीक्षण सरकार को बताना। इसमें भी 6 महीने से कम समय लग सकता है।
3.निर्माण(Manufacturing)- सरकार से अनुमति मिलने के बाद दवा के बहुतायत में उत्पादन के लिए फैक्ट्री लगाना। इसमें काफी ज्यादा खर्च और समय लग सकता है। सामान्यतया 2 साल से घटाकर 3 महीने में ये काम किया जा सकता है।
Q.कोरोना की दवा अब किस चरण में है?
-इस वक्त पूरी दुनिया में 100 से अधिक कोरोना वायरस की दवाओं पर कार्य चल रहा है, जो कि पूर्व लाक्षणिक चरण(Pre clinical trial) में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इनमें से 70 प्रभावी दवाओं पर नजर जमा रखी है। अभी पूरी दुनिया में 17 प्रभावी दवाओं ने इंसानों पर परीक्षण (Clinical trial) आरंभ कर दिया है। चीन में एक दवा के काफी प्रभावी लक्षण नजर आए हैं, जिसे चीनी सेना उपयोग में ले रही हैं।
1.Oxford University-AstraZeneca (इंग्लैंड)- 2020 अंत तक बाजार में उपलब्ध
2.BioNtech- Pfizer (जर्मनी)- अक्टूबर तक अनुमति के लिए
3.Moderna- NIAID (अमेरिका)- 2021 तक संभावित
Q.भारत में बन रही कोरोना की दवा किस चरण में है?
-भारत बायोटेक नाम की हैदराबाद स्थित कम्पनी ने CoVaxin बनाने का दावा रखा है। इन्हें इंसानों पर परीक्षण के लिए सरकार से अनुमति मिल चुकी है। अब 1000 लोगों पर हैदराबाद में परीक्षण होगा। लेकिन 15 अगस्त तक दवा बनाने का दावा असंभव नजर आ रहा है। अन्य देशों में दवाइयां परीक्षण में आगे है, लेकिन कोई भी 2020 में दवा लांच करने का दावा नहीं कर रहा।
आयुष मंत्रालय ने भी पतंजलि की 'कोरोनिल दवा' से कोरोना वायरस का नाम हटाने को कहा है, ये दवा सिर्फ प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए उपयोग में ली जा सकती है, लेकिन ये कोरोना वायरस का इलाज नहीं है।
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